लो-ग्रेड स्क्वामस इंट्राएपिथीलियल लीशन (LSIL)

(सामग्री संशोधित 04/2023)

जब सर्वाइकल स्क्रीनिंग टेस्ट में LSIL होने का पता चलता है, तो इसका मतलब है कि कोशिकाएँ थोड़ी खराब हो गई हैं। चूंकि सर्वाइकल कोशिकाओं की गंभीर गिरावट से लेकर कैंसर तक बढ़ने में आम तौर पर लगभग 5 से 10 साल लगते हैं, स्थिति शायद ही कभी कोई तत्काल खतरा पैदा करती है, इसलिए कृपया बहुत ज़्यादा चिंता न करें। कुछ महिलाओं में थोड़ी खराब हुई सर्वाइकल कोशिकाएँ सामान्य हो जाती हैं।

सर्वाइकल कैंसर का होना एक लंबा प्रोसेस है। सर्विक्स की कोशिकाएँ धीरे-धीरे सामान्य कोशिकाओं से असामान्य कोशिकाओं में, हल्के, मध्यम, फ़िर गंभीर गिरावट और अंत में सर्वाइकल कैंसर जैसे बदलावों की एक श्रृंखला से गुज़रती हैं। कोशिका बदलावों के लगातार बिगड़ने के अलावा, किसी भी समय, कोशिका बदलाव अनायास ही सामान्य स्थिति में भी आ सकता है। हालाँकि, भले ही कोशिका बदलाव पहले से ही गंभीर गिरावट दिखाते हों, फ़िर भी वाकई कैंसर होने में 5 से 10 साल तक का समय लग सकता है।

स्क्रीनिंग टेस्ट सर्वाइकल टिश्यु की गिरावट के स्तर को पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं कर सकता है। पिछले मेडिकल पब्लिकेशन्स के अनुसार, प्रारंभिक जाँच में जिन 1000 महिलाओं में सर्वाइकल कोशिकाओं में हल्की गिरावट पाई गई, उनमें से लगभग 150 में वाकई में सर्वाइकल कोशिकाएँ गंभीर रूप से खराब हो गई थीं। ज़्यादा सटीक निदान के लिए, आगे की जाँच के लिए सर्वाइकल टिश्यु को निकालने के लिए कॉल्पोस्कोपी की जानी चाहिए।

कॉल्पोस्कोपी क्या है?

कॉल्पोस्कोपी एक मैग्निफ़ाइंग ग्लास का इस्तेमाल करके योनि और सर्विक्स की जांच करने को कहते हैं। ये जाँच प्रक्रिया बिना एनेस्थीसिया के क्लीनिक में की जा सकती है और इसमें लगभग 10 मिनट लगते हैं।

प्रक्रियाएँ

डॉक्टर कॉल्पोस्कोप को डालेंगे, योनि और सर्विक्स को स्पेशल औषधीय सॉलूशन से निशान लगाएँगे और फ़िर किसी भी असामान्य घाव की पहचान करने के लिए कॉल्पोस्कोप का इस्तेमाल करेंगे। अगर कोई असामान्य घाव पाया जाता है, तो डॉक्टर एक उपकरण का इस्तेमाल करके टिश्यु का एक छोटा टुकड़ा निकालेंगे और आगे की एनालिसिस के लिए उसे लैबोरेटरी में भेजेंगे।