वैरिसेला का टीका
वैरिसेला का संक्रमण
वैरिसेला (चिकनपॉक्स के रूप में भी जाना जाता है) एक वायरल बीमारी है जो वैरिसेला-ज़ोस्टर वायरस के कारण होती है। यह अत्यधिक संक्रामक होती है और श्वसन पथ से बूंदों के हवाई संचरण द्वारा या चिकनपॉक्स या भैंसिया दाद संक्रमण के त्वचा घावों के फफोलों के द्रव से फैलता है। प्रभावित व्यक्ति को बुखार और खुजली वाले दाने हो जाते हैं। दाने आमतौर पर 5 दिनों में फफोलों के बनने से विकसित होते हैं और पहले खोपड़ी और चेहरे पर दिखाई देते हैं, धड़ और फिर अंगों तक फैलते हैं। दाने मुख्य रूप से धड़ पर होते हैं। फफोलों में खुजली होती है, और फिर सूख जाती है और लगभग 3 दिनों में पपड़ी बन जाती है। प्रभावित व्यक्ति आमतौर पर 2 से 4 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं।
वैरीसेला आमतौर पर बचपन की एक हल्की बीमारी होती है। यह वयस्कों में और दुर्बल प्रतिरक्षा वाली किसी भी उम्र के व्यक्तियों में अधिक गंभीर है। रोग त्वचा संक्रमण, कीटाणुहीन मैनिंजाइटिस, एन्सेफलाइटिस और निमोनिया से जटिल हो सकता है। प्रारंभिक गर्भावस्था में संक्रमण भ्रूण के जन्मजात विकृति से जुड़ा हो सकता है।
वैरिसेला का टीका
वैरिसेला का टीका चिकनपॉक्स के संक्रमण को प्रभावी ढंग से रोक सकता है। हांगकांग में, वैरिसेला यक टीका हांगकांग बचपन प्रतिरक्षण कार्यक्रम में शामिल है। बच्चों को वैरिसेला युक्त टीकों की दो खुराक लेनी चाहिए।
A. निम्नलिखित व्यक्तियों को वैरीसेला का टीका नहीं लगवाना चाहिए या इंतजार करना चाहिए
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य केंद्रों में, बच्चों को दिया जाने वाला वैरिसेला युक्त टीका मोनोवैलेंट वैरिसेला टीका है। जिन व्यक्तियों की निम्न स्थिति होती है, उन्हें मोनोवैलेंट वैरिसेला टीका नहीं लगवाना चाहिए या इंतजार करना चाहिए:
- वैरिसेला टीका की पिछली खुराक से गंभीर एलर्जिक प्रभाव
- जिलेटिन या कुछ एंटीबायोटिक दवाओं से गंभीर एलर्जिक प्रभाव का ज्ञात इतिहास
- निम्नलिखित स्थितियों वाले व्यक्ति :
- कैंसर
- दीर्घकालिक कॉर्टिकोस्टेरॉइड लेने वाले
- इम्यूनोडेफिश्येंसी
- मध्यम या गंभीर नई बीमारी
- पिछले 11 महीनों के भीतर इम्युनोग्लोबुलिन या अन्य रक्त उत्पाद (जैसे रक्त-आधान) लगवाए हैं
- पिछले चार हफ्तों में अन्य जीवित टीके लगवाए हैं
- अनुपचारित सक्रिय तपेदिक
- जन्मजात या वंशानुगत इम्यूनोडेफिश्येंसी का पारिवारिक इतिहास
- गर्भावस्था (प्रजननीय उम्र में महिलाओं को टीकाकरण के बाद तीन महीने तक गर्भावस्था से बचना चाहिए)
B. इसके दुष्प्रभाव कौन से होते हैं?
- सामान्य तौर पर, मोनोवैलेंट वैरिसेला टीका सुरक्षित होता है और अच्छी तरह सहनीय होता है। इसकी प्रतिकूल प्रभावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- सुई लगने वाली जगह पर दर्द, लालिमा और दाने जैसी स्थानीय प्रभाव। ये आमतौर पर हल्के और आत्म-सीमित होते हैं।
- प्रणालीगत लक्षण जैसे बुखार और सामान्यीकृत त्वचा चकत्ते कम ही होते हैं।
- अव्यक्त भैंसिया दाद से होने वाली संक्रमण की सूचनाएं मिली हैं, लेकिन अधिकांश मामले हल्के रहे हैं और जटिलताओं से सम्बद्ध नहीं पाए गए हैं।
- वैरिसेला टीका लगवाने के 6 सप्ताह के भीतर बच्चों को सैलिसिलेट (जैसे एस्पिरिन) लेने से बचना चाहिए।
शायद ही कभी, टीका के वैरिसेला वायरस, टीका प्राप्त करने वालों से संचरित हो सकता है, जिससे अतिसंवेदनशील उच्च-जोखिम वाले व्यक्तियों में वैरिसेला जैसे दाने निकलते हैं (जैसे कि बिना चिकनपॉक्स प्रतिरक्षा वाली प्रतिरक्षा में अक्षम, गर्भवती महिलाएं, बिना चिकनपॉक्स से प्रतिरक्षा वाली माताओं के नवजात शिशु, सभी नवजात जो 28 सप्ताह से कम गर्भावधि में पैदा हुए हों)। परंतु, सिर्फ इसलिए कि उसी घर में उच्च जोखिम वाले व्यक्ति हैं, यह वैरिसेला टीका लगवाने हेतु किसी बच्चे के लिए विपरीत संकेत नहीं है। एक गर्भवती मां या अन्य घरेलू गर्भवती सदस्य भी घर के किसी बच्चे हेतु टीकाकरण के लिए विपरीत संकेत नहीं हैं। ऐसे बच्चे के टीकाकरण के बाद कोई सावधानी बरतने की आवश्यकता नहीं होती है जिन्हें कोई दाने नहीं निकलते हैं। लेकिन, यदि बच्चे को टीकाकरण के बाद दाने निकल आते हैं, तो उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों को दाने ठीक हो जाने तक बच्चे के निकट संपर्क में आने से बचना चाहिए।