डिप्थीरिया (मांस संतानिका) और टिटनेस (धनुष्टंकार) (DT) के टीके
डिप्थीरिया (मांस संतानिका) Diphtheria
डिप्थीरिया (मांस संतानिका) बैक्टीरिया की वजह से होता है। प्रभावित व्यक्तियों को बुखार, गले मे खराश के साथ गले से चिपके झिल्ली मे भूरी चकत्ते और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। गंभीर मामलों में, यह वायु मार्ग में बाधा, हृदय की विफलता, तंत्रिका क्षति या यहां तक कि मौत का कारण बन सकता है। यह रोग रोगी या वाहक के साथ संपर्क से फैलता है। कम मात्रा पर, किसी व्यक्ति को प्रभावित व्यक्तियों के उत्सर्जनों से गंदी वस्तुओं के संपर्क के माध्यम से संक्रमित होते है।
टिटनेस (धनुष्टंकार) Tetanus
टिटनेस बैक्टीरिया की वजह से होता है, जो शरीर के अन्दर त्वचा पर पडे दरार के माध्यम से प्रवेश करते है और एक विष उत्पन्न करते है जो तंत्रिका तंत्र पर आक्रमण करता है। इससे शरीर मे दर्दनाक कसाव और जबड़ो मे जडाव पैदा होता है, जिससे संक्रमित व्यक्ति उसका/उनका मुँह नही खोल सकता या निगल सकता है। जब टिटनेस सांस लेने में मदद करने वाली मांसपेशियों को प्रभावित करता है, तब रोगी तुरुन्त ही मर भी सकता है।
डिप्थीरिया (मांस संतानिका) और टिटनेस (धनुष्टंकार) (DT) के टीके
- टीकाकरण क्यों करवाना चाहिए?
- मेरे बच्चे को कब टीकाकरण करवाना चाहिए?
- निम्नलिखित व्यक्तियों को DTटीका नहीं लगवाना चाहिए?
- टीके के किसी भी घटक या DT टीके की पिछले खुराक के बाद तत्काल तीव्र गति से प्रतिक्रिया होना
- कुछ परिरक्षको से गंभीर एलर्जी की प्रतिक्रिया
- इसके क्या - क्या दुष्प्रभाव हैं?
- अधिकांश लोगों को DT टीके लेने के बाद कोई गंभीर प्रतिक्रिया नहीं होती है। कभी-कभी हल्का बुखार (साधारण तौर पर टीकाकरण के 3 दिन बाद) या सुई लगी जगह पर हल्का सा सूजन हो सकता है। माता पिता इन लक्षणों से राहत पाने के लिए बुखार-रोधी दवा का उपयोग कर सकते हैं।
- टीकाकरण के बाद यदि बच्चे को सांस लेने मे परेशानी हो या निश्चेतावस्था ( जो अत्यंत दुर्लभ हैं) मे चले जाए, तो कृपया उसको/उनको अस्पतालों के दुर्घटना एवं आपातकालीन विभाग पर प्रबंधन के लिए लेकर जाएं।
DT टीके से उपर दिये गए 2 गंभीर बीमारियों को प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है। हांगकांग मे, बचपन के नियमित टीकाकरण के लिए डिप्थीरिया, टिटनेस (धनुष्टंकार), अकोशिकीय काली खांसी और निष्क्रिय पोलियोवायरस टीके (DTaP-IPV टीके) लगाने की सिफारिश की गई है। तथापि, जिन बच्चों को काली-खांसी युक्त टीका नहीं लगाया जा सकता है उन्हे DT के टीके लगाए जाने चाहिए।
अच्छी और स्थायी सुरक्षा प्राप्त करने के लिए, बच्चों को जीवन के पहले वर्ष में डीटी की 3 खुराक (2, 4 और 6 महीने के आयु होने पर), दी जानी चाहिए और 18 महीने की आयु में बूस्टर की एक अन्य खुराक दी जानी चाहिए। प्राथमिक कक्षा एक और कक्षा छ के छात्रों को दो अन्य बूस्टर की खुराक दी जाएगी। DT टीके को अन्य टीकों के साथ एक ही समय पर दिया जा सकता है।
यदि आपको कुछ पूछताछ करनी है तो, कृपया स्वास्थ्य विभाग के अपने मातृत्व एवं बाल स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क करे ।
इन पुस्तिकाओं के अंग्रेजी और अन्य भाषा संस्करणों के बीच किसी भी अंतर की स्थिति में, अंग्रेजी संस्करण प्रबल होगा।